मनगढ एक गाँव है, तहसील कुंडा, जिला प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश में, कुंडा हरनामगंज रेलवे स्टेशन निकट है , यह स्थान इलाहाबाद, प्रयाग व श्रुन्ग्वेरपुर (जहाँ केवट ने रामावतार में भगवन श्रीराम के चरण धोये थे) का निकटवर्ती है। वहां जन्म लिया है एक रसिक संत ने। जिनके लिखे रसिया मुझे प्राण प्यारे हैं। उन्हींके रसिया पर आधारित उन्हींपर यह रसिया लिखा गया है। वह कौन हैं?वे मेरे कौन हैं? वह आप के लिए क्या हो सकते हैं इसी को बतलाने के लिए यह ब्लॉग लिखा जा रहा है। फिलहाल यह रसिया:
मन राधे गोविन्द बन छायो रे, मनगढ़ वारो रसिया।
छवि प्रथम दरस महं मन मोहे,
दृग मिलतहिं हृदय कसक होवे,
दिव्य वाणी से मन को लुभायो रे, मनगढ वारो रसिया।
दियो ऐसो दुर्लभ दिव्य ज्ञान,
सके कोऊ न बिन इन कृपा जान,
ब्रज रस सों मन महाकायो रे मनगढ वारो रसिया।
हो व्याकुल रूप-ध्यान साधे,
साधक जन भज राधे राधे,
राधे नाम हर मन में बसायो रे मनगढ वारो रसिया।
मूरख सोचें ज्यादा या कम,
गुरु किरपा तो सब पर है सम,
निष्काम प्रेम समझायो रे मनगढ वारो रसिया,
जो दिव्य प्रेम हरदम लुटाय,
अरु युगल प्रेम की लौ लगाय,
राधे गोविन्द गोविन्द गयो रे मनगढ वारो रसिया।
अब एक दोहा:
सद्गुरु बांटें प्रेमरस पग पग पे छल्कायं।
जो इनतक पहुंचे उसे नैनन शहद पिलायं।।
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