कुछ समय बाद भविष्य चेतना के रंगमंच पर एक रचना का निर्माण होगा व मनः प्राण इस रचना पर नर्तन करेंगे:-
दिव्य बदन गौर वरण षोडशी श्री राधे।
अरुण चरण पल्लव वरण ध्यान ह्रदय सोहे।
छन छननन धुनी विछुवन रसिकन मन मोहे।
पायल की रुन झुन धुन ध्यान जग भुलादे।। 1।।
दिव्य बदन ..........
रत्न जड़ित नीलाम्बर विद्युत् आभा लुटाय ।
अंगुरिन मुन्दरिन कि ज्योति गोविन्दहु हिय चुराय।
कर कंकन बाजुबंद अमित छवि अगाधे ।।2।।
दिव्य बदन..........
मुख मंडल गोल भाल कुमकुम को तिलक लाल।
भौंहन की मोहन छवि नैना दुइ अति विशाल।
कुंतल की श्याम राशि ध्यान हृदय साधे ।।3।।
दिव्य बदन ............
श्रुति कुंडल अधर लाल शुभ कपोल मृदु रसाल।
सुगढ़ नासिका ग्रीवा, चिबुक छवि लाखे गुपाल।
मुकुट हार सौगंधिनि रसित छवि दिखादे ।।4।।
दिव्य बदन .............
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